Tuesday, May 14, 2019

मना नहीं करूँगा

दे  सब  मुश्किलें , दे  सारी  तकलीफ
पर  साथ  मे , उम्मीद  ज़रूर  देना
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

दे  कुछ  ठुकराने  वाले  लोग, दे  थोड़ा  अकेलापन  भी
पर  उस  पल  मे , दे  कुछ  याद  करने  वाले  बीते  पल  भी
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

वो  खेल  दे , कि वो  हार  जाए , वो  पहेलियाँ  की  समझ  न  आए
पर  साथ  मे  वो  हाथ  पड़ने  वाला  भी  दे , भले आइना  ही  सही
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

कुछ  रोज़ , जब  लगे  कि वो  कहाँ  आ  गयी , लगे  क्यूँ  है यहां
साथमे  दे  वो  रास्ता  निकलने  का , वो  घड़ी  चुनने  की
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

गलत  होने  दे  उससे , कभी  चाहे  पता  भी  न  चले
पर  अगर  गिरे  तो , एक  हाथ  आगे  कर  देना
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

बोलना , खुद  से  ज़ादा  किसी  से  कुछ  उम्मीद  न  करे
खुद  से  ज़ादा  समय  और  किसी को  न  दे
खुद  है  तो  खुदा  है , याद  दिलाना  उसे

अच्छी  है , मेरी है , थोड़ी  तेरी  भी  शायद
हो  पाए  तो  बित्ते  भर  की  किस्मत  भी  दे  देना , गिरे  तो  खुद  उठ  जाने  की  हिम्मत  भी
तब  फिर  मै  , मना  नहीं  करूँगा

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My triumph....truth & purity...

For those who can make out a lot from the things i wrote...
For those who believe in remnants
But more for those who believe in rebirth...

Depths n Heights have no limits...n if u've seen, then U Haven't Started Yet