दे सब मुश्किलें , दे सारी तकलीफ
पर साथ मे , उम्मीद ज़रूर देना
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा
दे कुछ ठुकराने वाले लोग, दे थोड़ा अकेलापन भी
पर उस पल मे , दे कुछ याद करने वाले बीते पल भी
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा
वो खेल दे , कि वो हार जाए , वो पहेलियाँ की समझ न आए
पर साथ मे वो हाथ पड़ने वाला भी दे , भले आइना ही सही
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा
कुछ रोज़ , जब लगे कि वो कहाँ आ गयी , लगे क्यूँ है यहां
साथमे दे वो रास्ता निकलने का , वो घड़ी चुनने की
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा
गलत होने दे उससे , कभी चाहे पता भी न चले
पर अगर गिरे तो , एक हाथ आगे कर देना
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा
बोलना , खुद से ज़ादा किसी से कुछ उम्मीद न करे
खुद से ज़ादा समय और किसी को न दे
खुद है तो खुदा है , याद दिलाना उसे
अच्छी है , मेरी है , थोड़ी तेरी भी शायद
हो पाए तो बित्ते भर की किस्मत भी दे देना , गिरे तो खुद उठ जाने की हिम्मत भी
तब फिर मै , मना नहीं करूँगा